IPS, Amit Tolani, Inspirational Talks : Mandatory for All Aspirant’s (2017-18).
IPS, Amit Tolani, Inspirational Talks : Mandatory for All Aspirant’s (2017-18).
नमस्ते, मैं आईपीएस, अमित तोलानी; मेरा यंहा आने का उद्देश्य ही यही है की This is my last attempt (6th Attempt) और यही मैं सोचता रहता था कि “is it worth it?” इतना समय लग गया मतलब इतना समय नहीं लगना चाहये था तोह, is it worth it or not? लेकिन पास होने के बाद लगता है की हां बिलकुल वर्थ है और जो ख़ुशी मिलती है, जो “Recognition” मिलता है और सबसे बड़ी बात जो हम करना चाहते हैं वो इच्छा पूरी हो जाती है. so, it is worth it…
लेकिन क्या इतना समय लगना चाहये मेरे हिसाब से इससे कम समय में किया जा सकता है काफी सारे मेरे दोस्त हैं जिन्होने 1st attempt में पास किये हैं, 2nd, 3rd attempts में भी पास किये हैं लेकिन उनकी पढ़ाई सिर्फ 1 साल की नहीं है जो फर्स्ट एटेम्पट में पास किये हैं वो ज्यादातर वे हिडेन रहते हैं (मतलब, 12th से ही स्टार्ट कर देते हैं या ग्रेजुएशन से, तोह बच्चों को काफी बार लगता है 1st एटेम्पट में क्लियर कर दिया, यह तोह सुपरमेन है लेकिन ऐसा होता है की उन्होने भी मेहनत की है 3-4 सालों वाली
लेकिन जो अवेयरनेस रहती है वो उनको थोड़ी पहले से रहती है और सामान्य रूप से स्नातक करने के बाद विद्यार्थियों को पता नहीं रहता है की सिविल सेवा क्या है? अध्ययन केसे करना चाहए…और स्नातक के बाद यह सब शुरु होता है जिसके कारण समय ज्यादा लग जाता है..गुइड़ेंस आदि की भी कमी होती है…
अत: मेरा उद्देश्य यंहा आने का यही था की जो भी बच्चें एग्जाम दे रहे हैं उनको पता हो की केसे इस एग्जाम को पास किया जाये? जो गलतियाँ मैंने करी या मेरी तरह मेरे दोस्तों ने करी जिनको पास करने में ज्यादा समय लग गया था और जो वाके में टोपर जो १स्त, २न्द एटेम्पट में फटाफट क्लियर हो जाते हैं उनकी अनुभव शेयर करूंगा में यंहा और मुझे विश्वास है की उसका बहुत ज्यादा लाभ होगा आप सब को..
मुझे लगता है की जो PT, MAINS and INTERVIEW है उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण PT है मेरे हिसाब से PT में सबसे ज्यादा प्रतियोगिता है e.g. लगभग 10 लाख रजिस्टर्ड करते हैं उनमें से 5 लाख एग्जाम देने आते हैं और लगभग 5 लाख में से 20 हज़ार सेलेक्ट होते हैं ठीक इसी तरह मैन्स लिखने के लिए 20 हजार में से लगभग 3 हज़ार सेलेक्ट होते हैं और फाइनल लिस्ट में अप्रोक्स 1000 आते हैं
तोह, आप खुद हिसाब लगा लीजये 25 में से 1 बच्चा, २०००० में से 3, 7 में से “1” बच्चा.. फिर इंटरव्यू में 3 में से 1…लेकिन PT में बहुत कम चांसेस होते हैं इसलिए PT ज्यादा महत्वपूर्ण है.
PT में जब बच्चा फ़ैल हो जाता है तोह पूरा एक साल लगता है अगला PT आने में लेकिन अगर इसमें पास हो गये तोह जल्द 3-4 महिनों में मैन्स आती है और फिर इंटरव्यू आ जाती है मतलब पूरा एक साल की प्रोसेस निरंतर चलती रहती है तोह स्टूडेंट्स की स्टडी भी चलती रहती है लेकिन जब वे PT में फ़ैल हो जाते हैं तोह इसमें स्टडी छुट जाती है या प्रोसेस से बाहर आते हो तोह वापस प्रोसेस से बाहर आने में समय लगता है…
अतः मेरा पूरा फोकस यही रहेगा की आप किरपिया कर के PT पर ज्यादा फोकस रहिये मैन्स के लिए न्यूज़ पेपर्स बहुत महत्वपूर्ण है. मैन्स में जब हम उत्तर लिखते हैं e.g. ESSAY का पेपर है तोह किसी ने नेवसपपेर नही भी पढा होगा लेकिन उनकी सोच, विचार अच्छी होगी तोह वो कुछ न कुछ अच्छा ही लिख कर आयेगा… वैसे ही एथिक्स के पेपर में लिख कर आयेगा इसी तरह पेपर 2&3 में भी अगर शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से सम्बंधित कोई सवाल आता है तोह आप जरुर कुछ न कुछ लिख कर आयेंगे….
लेकिन मुद्दा यह होता है की PT में आपको “Options” दी जाती है इसमें या तोह आपको वो “Options” आ रही है या तोह नहीँ आ रही है.. तोह वंहा पर कठिनाई ज्यादा बढ़ जाती है स्टूडेंट्स को लगता है की PT ज्यादा आसान है और “मैन्स” ज्यादा मुश्किल परिणामस्वरूप वो “राइटिंग प्रैक्टिस” में ज्यादा समय लगा देते हैं…याद रहे अगर PT पास ही नहीं होगा तोह आप क्या कर लेंगे उस “राइटिंग प्रैक्टिस” का..
इसलिए पूरा फोकस आप सभी PT पर पहले कीजये 5 महीनों से ज्यादा का समय इसमें नहीं लगता जिससे की आप सिक्योर हो जाएंगे की हम PT पास हो रहे हैं और पक्का मैन्स लिख रहे हैं
PT, इसमें 2 बातें बहुत मायने रखती है. 1 कम से कम 5 सब्जेक्टस पर ज्यादा ध्यान रखें और 2. टेस्ट सीरीज अच्छे से करें.. में यंहा एक उदाहरण देता हूँ, “एकलव्य” और “अर्जुन” की कहानी आपलोगों को याद होगी पहले “गरुकुल” थी जंहा “कैंडल/लालटेन” जलती थी जंहा सब खाना खा रहे थे तोह तभी तेज हवा आयी जिससे की केंडल बुझ गया और “अंधेरा” हो गया पर स्टूडेंट्स खाना खाने में लगे ही रहे और जब तक गुरु द्रोणाचार्य ने केंडल/लालटेन जलाई तब तक स्टूडेंट्स खाना खा चुके थे…तोह अर्जुन ने फील किया की यार स्टूडेंट्स ने अंधेरों में भी खाना खा लिया लेकिन जो प्लेट (पहले बनाना पत्ते की प्लेट होती थी), थी उसमें से किसी ने भी खाना बाहर नहीं गिराया..
तोह, अर्जुन ने गुरु द्रोणाचार्य से पूछा की यह केसे हो गया? तोह गुरु ने बताया की आप रोज खाना खाते हो उसी प्लेट्स में तोह आपने उसकी “प्रक्टिस” इतनी बारी कर लिया की आप यह कार्य आंखे बंद कर के भी कर सकते हो लाइट हो या न हो..
यह उदाहरण देने का तात्पर्य यह है की PT हो या “मैन्स” हो खासकर “निरंतर अभ्यास” चाहये जिससे की जैसे ही आपके सामने “Options” दिखें उसमें हमें “Options” देखकर तुरंत समझ (सही/गलत), में आ जाएँ यह तभी होगा जब हम बार-बार अभ्यास करेंगे..
एकलव्य की कहानी भी कुछ इसी प्रकार है जब द्रोणाचार्य के स्कूल में उसको एडमिशन नही मिला तोह वो “सेल्फ स्टडी” की घर में ही, जंगलों में खुद से ही तीर चलाए.. यंहा यह बोलने का तात्पर्य यह है की इस आईएस एग्जाम के लिए “सेल्फ स्टडी” बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है…हम सिर्फ आपको गाइड कर सकते हैं आपको खुद ही पढ़ना पड़ेगा घर, लाइब्रेरी में….अतः सेल्फ स्टडी भी महत्वपूर्ण है..
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PT का अध्ययन 5 सब्जेक्ट जरुर पढ़ें;
आईपीएस, अमित तोलानी; 5 सब्जेक्ट जरुर पढ़ें ताकि ऐसा न हो की जो बंकि लोगों को उत्तर आ रहा है वो हमें नहीं आ रहा अगर ऐसा होगा तोह पक्का हम फ़ैल होंगे..ऐसा होता है की कुछ प्रश्न ज्यादा मुश्किल होता है जो सबको नहीं आता लेकिन ऐसा नहीं होना चाहये की जो सबको आ रहा हो वो हमको नहीं आ रहा है?
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