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Releases Book ‘Ashok Singhal: Staunch and Perseverant Exponent of Hindutva’

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PIB Youth Darpan

Releases Book ‘Ashok Singhal: Staunch and Perseverant Exponent of Hindutva’

Vice President’s Secretariat

Shri Ashok Singhal was an exemplary individual who selflessly served society: Vice President

The Vice President of India, Shri M. Venkaiah Naidu has said that Shri Ashok Singhal was an exemplary individual who selflessly dedicated himself as a Pracharak and served society for over six decades. He was addressing the gathering after releasing the Book ‘Ashok Singhal: Staunch and Perseverant Exponent of Hindutva’ authored by Shri Mahesh Bhagchandka, here today. The Founder, Bharat Mata Mandir, Haridwar, Swami Satyamitranand Giriji and other dignitaries were present on the occasion.

The Vice President said that Shri Ashok Singhal was one of the finest proponents of Hinduism and he sacrificed 75 years of his life for the benefit of the future generations. Despite being a student of science and engineering he chose to spend time on the banks of the Ganges and reflected on religion, society and culture, he added.

The Vice President said that despite being asked by many in Congress party to join the Freedom Struggle under leadership of Mahatma Gandhi, Shri Singhal chose to side with Dr. K.B. Hedgewar’s Rashtriya Swyamsevak Sangh and dedicated his entire life to Sangh.

The Vice President said that this book elucidates life, philosophy, vision, ideas of Shri Singhal, one of India’s tallest leaders committed to ideals of Hinduism. He further said that the Book says “Our goal is to reach every corner of this country and overseas as well, so that all the prominent people of the world can get a glimpse of our Hindu Religion and Hindu lifestyle”.

The Vice President said that he was fortunate enough to closely observe, admire and celebrate Shri Singhal’s dedication towards restoring cultural and national pride and hoped future generations will appreciate his contribution to country and get inspired to take upon duties to serve national interest.

Following is the text of Vice President’s address in Hindi:

“आज हम एक पवित्र आत्मा का पुण्य स्मरण कर रहे हैं। सार्वकालिक लोकप्रिय संगठनकर्ता अशोक सिंहल जी कालजयीप्रेरणा पुंज हैं। अशोक सिंहल ने समाज और देश के लिए अपने जो कीमती 75 वर्ष दिए हैं, उस त्याग व तपस्या का फलभारत की भावी पीढ़ियों को जरूर मिलेगा ऐसा हम सब विश्वास करते हैं। उनके जीवन में विरूद्धों का सामंजस्य दिखाई देताहै। ज्ञान, विज्ञान और अभियांत्रिकी का छात्र प्रयोगशाला से ज्यादा एकांत में गंगा किनारे चिंतन करते थे। धर्म, समाज औरसंस्कृति की चिंता करते थे। आत्म संस्कार और जीवन में आत्मानुशासन के लिए संघ की शाखा से जुड़कर निरंतर सक्रियरहते थे।

किशोरावस्था में अपने विषय में ने सोचकर अंग्रेजों के अत्याचारों से लड़ने को उद्यत रहकर उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन मेंभाग लिया था। किशोर अशोक चाहते थे कि मुस्लिम समाज के लोग भी ज्यादा से ज्यादा असहयोग आन्दोलन में भाग लें।कांग्रेस के कुछ लोगों के जोर देने के बावजूद वे आजादी के आन्दोलन से जुडने के लिए गांधी की कांग्रेस को नहीं बल्कि डॉ.हेडगेवार के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को वरीयता दी। अपना सम्पूर्ण जीवन संघ कार्य के लिए समर्पित करने वाले महान व्यक्तिअशोक जी हैं।

जीवन में जितनी प्रतिकूलताएं मिलीं उनसे डटकर मुकाबला कर अशोक जी एक नया रास्ता बनाते रहे और भीड़ में भीप्रामाणिकता के साथ अपनी अलग और विशिष्ट पहचान बनाते रहे। आन्दोलन में लाठी और गोली खाने के लिए वे हमेशासबसे आगे रहे और विशेष से लेकर सामान्य कार्यकर्ता की चिंता उन्हें परिवार के मुखिया की रहत रही। ऐसे विलक्षणअशोक सिंहल हम सबके लिए प्रेरक है। उनका आचरण और विचार दर्शन हमेशा के लिए प्रेरणा, ऊर्जा, उत्साह और संचारका काम करेगा।

अशोक जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केन्द्रित लेखक महेश भागचन्दका की पुस्तक ASHOK SINGHAL STAUNCH AND PERSEVERANT EXPONENT OF HINDUTVA अशोक जी के जीवन के विविध पहलुओं से परिचित कराती है।कुछ पहलुओं का मैं जिक्र करना चाहता हूं:

  1. अशोक जी साधक व तपस्वी थे। छात्र जीवन में ही अशोक जी ने समाज देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा का संकल्प लेचुके थे।
  2. हृदयाघात ने अशोक जी को संकल्पवान व प्रतिबद्ध बनाया था : समाज, देश व धर्म के लिए तन-मन से समर्पित अशोकजी को 1962 में कानपुर में गुरुदक्षिणा कार्यक्रम के दौरान बैरिस्टर नरेन्द्र जीत सिंह के निवास पर जोर का हृदयाघातहुआ। इससे अशोक जी ने मन में निश्चय किया यह जीवन तो अब समाज और देश के लिए होम करना है। इसी संकल्पके चलते धर्म व अध्यात्मक के मामले में वे अनुशासन और शुद्धता के पक्षधर रहे।
  3. जब अशोक जी को घर से निकलने की धमकी मिली तो उन्होंने इसे प्रेरणामंत्र माना था : बीएचयू से माइनिंगइंजीनियरिंग में टॉप करने के बाद जब युवा अशोक ने पिता महावीर सिंह को बताया कि वह संघ के पूर्णकालिकप्रचारक बनकर देश सेवा से जुड़ना चाहते हैं तो प्रशासनिक अधिकारी पिता सन्न रह गए। उन्होंने अशोक जी को बहुतसमझाया, बुझाया, धमकाया और घर से निकलने का भी आदेश दिया किंतु जब उन्हें लगा कि अशोक जी के इरादों,रुचि और संकल्प को नहीं बदला जा सकता तो उन्होंने सहर्ष आर्शीवाद देते हुए अपने बेटे का मन, आत्मा और विवेकसे भारत माँ का बेटा बनने का आशीर्वाद दिया।
  4. अशोक जी चन्द्रशेखर आजाद व उनके सहयोगी अपने बड़े भाई को वे प्रेरक मानते थे।
  5. अशोक जी संगीत के अद्भुत मर्मज्ञ थे : अशोक जी का आंदोलनकारी और मुखर व्यक्तित्व बाहर से क्रांतिकारी लगताथा लेकिन उनका अंतर्मन बहुत निश्छल व कोमल था उन्हें संगीत का अच्छा ज्ञान था।

कुल मिलाकर ASHOK SINGHAL STAUNCH AND PERSEVERANT EXPONENT OF HINDUTVA पुस्तक मेंलेखक महेश भागचन्दका ने हिन्दू धर्म की धरोहर पुरुषार्थी व साधक अशोक सिंहल जी के व्यक्तित्व व जीवनचर्या से जुड़ेप्रसंगों को प्रमाणिकता के साथ गुंथकर भारत व विश्वभर के हिन्दुओं के लिए एक प्रेरणाप्रद दस्तावेज से रूप में उपस्थापितकिया है।

निश्चित रूप से भारतीय सनातन मूल्य व हिन्दू संस्कृति के जीवंत संवाहक अशोक सिंहल पर केन्द्रित यह महाग्रंथ देश कीयुवा पीढ़ी के साथ-साथ विश्वभर में फैले प्रतिभाशाली भारतवंशी युवाओं के लिए ऊर्जा देने व प्रेरणा देने का कार्य करेगा।

इस पावन अवसर पर हिन्दुत्व की दिव्य महाविभूति ब्रह्मलीन अशोक सिंहल जी की पावन स्मृति को कोटि-कोटि नमन।

जाय हिंद।”

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